वित्तीय वर्ष 2023-24 से लागू हुई नई कर व्यवस्था ने करदाताओं को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस नई व्यवस्था में धारा 80C, 80D और 80CCD (1) जैसी प्रमुख कर छूटों को हटा दिया गया है, जिससे निवेशकों को कर बचत के लिए उपलब्ध विकल्पों पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। ऐसे में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ)नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), पोस्ट ऑफ़िस सेविंग स्कीम और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) की प्रासंगिकता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
पोस्ट ऑफ़िस: क्या ये योजनाएं अभी भी कारगर हैं?
यद्यपि नई कर व्यवस्था में कर छूट का लाभ सीमित कर दिया गया है, लेकिन आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि ये योजनाएं अभी भी निवेशकों की समग्र वित्तीय रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। पारंपरिक बचत योजनाओं की कर बचत क्षमता में भले ही कटौती की गई हो, लेकिन वे अभी भी सुरक्षित और स्थिर रिटर्न प्रदान करने वाले विकल्प हैं। विशेष रूप से, उन निवेशकों के लिए ये योजनाएं महत्वपूर्ण बनी हुई हैं, जो कम जोखिम के साथ सुनिश्चित रिटर्न चाहते हैं।
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पोस्ट ऑफ़िस PPF और NSC का महत्व
विशेषज्ञों के अनुसार, PPF THIR NSC जैसी योजनाएं अभी भी कई निवेशकों के लिए उपयोगी हो सकती हैं। आयोग विशेष रूप से सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, क्योंकि यह सरकार समर्थित है और कर-पश्चात (पोस्ट-टैक्स) अच्छा रिटर्न प्रदान करता है। इसके अलावा, यह लम्बे समय की आर्थिक योजना, खासकर रिटायरमेंट योजना के लिए सहायक हो सकता है।
पोस्ट ऑफ़िस निवेश रणनीति में बदलाव की जरूरत
नई कर व्यवस्था ने निवेशकों को अधिक flexibility प्रदान किया है, जिससे वे अपने आर्थिक लक्ष्यों के अनुसार निवेश योजनाओं का चयन कर सकते हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का सुझाव है कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करनी चाहिए और अधिक रिटर्न देने वाले विकल्पों जैसे कि इक्विटी और अन्य हाई-रिटर्न निवेश योजनाओं को प्रायोरिटी देनी चाहिए।
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क्या NPS अब भी उपयोगी है?
NPS को लम्बे समय की संपत्ति निर्माण के लिए एक प्रभावी साधन माना जाता है। हालांकि, नई कर व्यवस्था के तहत, इसकी कर बचत क्षमता प्रभावित हुई है। इसके बावजूद, यह उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है, जो कर लाभ की परवाह किए बिना अपनी सेवानिवृत्ति के लिए एक अनुशासित निवेश योजना चाहते हैं। डाकघर बचत योजना न्यू टैक्स रिजीम के बाद क्या पोस्ट ऑफिस की स्कीम से मिलेगा लाभ? यहाँ जानें हालांकि नई कर व्यवस्था ने कर बचत से जुड़े लाभों को सीमित कर दिया है, फिर भी पारंपरिक बचत योजनाएं पूरी तरह अप्रासंगिक नहीं हुई हैं। इनका उपयोग निवेशकों की व्यक्तिगत वित्तीय आवश्यकताओं और दीर्घकालिक लक्ष्यों के आधार पर किया जा सकता है। वित्तीय योजनाकारों का सुझाव है कि निवेशकों को अपनी जोखिम सहनशीलता और वित्तीय उद्देश्यों के अनुसार अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए। इससे वे कर लाभ से इतर, लम्बे समय की संपत्ति निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।